Thursday, 21 August 2014

સમજદારી

गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
  रास्ते मेंएक नदी पड़ती थी । नदी पार करने लगेतो ना जाने क्या सूझा
, एक पत्थर पर बैठ अपनेझोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतनका हिसाब निकालने लगे ।अचानक....., हाथ से पेन फिसला औरडुबुक ....पानी में डूब गया ।
गुरूजी परेशान ।आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च करखरीदा था ।
कातर दृष्टि से कभी इधरकभी उधर देखते , पानी में उतरने का प्रयासकरते , फिर डर कर कदम खींच लेते ।
एकदम नया पेनथा , छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।
अचानक.......पानी में एक तेज लहर उठी , और साक्षात् वरुणदेव सामने थ.
गुरूजी हक्के-बक्के ।
कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई ।
वरुण देवने कहा , " गुरूजी ।
क्यूँ इतने परेशान हैं ।
प्रमोशन , तबादला ,वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ?
गुरूजी अचकचाकर बोले , " प्रभु ! आज ही सुबहएक पेन खरीदा था ।
पूरे पांच रूपये का ।देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है ।
यहाँ पत्थर परबैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया ।प्रभु बोले , " बस इतनी सी बात!अभी निकाल लाता हूँ ।"प्रभु ने डुबकी लगाई , और चाँदी का एकचमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए । बोले - ये हैआपका पेन ?गुरूजी बोले - ना प्रभु । मुझगरीब को कहाँ येचांदी का पेन नसीब । ये मेरानाहीं ।प्रभु बोले - कोई नहीं , एक डुबकी औरलगाता हूँ ।डुबुक ..... इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेनलेकर आये ।बोले - "लीजिये गुरूजी , अपना पेन।"गुरूजी बोले - " क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँसर , CRC नहीं ।थके हारे प्रभु ने कहा , " चिंता ना करो गुरुदेव ।अबके फाइनल डुबकी होगी ।डुबुक .... बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये । हाथ मेंगुरूजी का जेल पेन लेकर । बोले - ये है क्या ?गुरूजी चिल्लाए - हाँ यही है, यही है ।प्रभु ने कहा - आपकी इमानदारी ने मेरा दिलजीत लिया गुरूजी । आप सच्चे गुरु हैं । आप येतीनों पेन ले लो ।गुरूजी ख़ुशी - ख़ुशी घर को चले।कहानी अभी बाकी है दोस्तों ---गुरूजी ने घर आतेही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई ।चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।पत्नी को विश्वास ना हुवा , बोली तुमकिसी CRC का चुरा कर लाये हो ।बहुत समझाने पर भी जबपत्नी जी ना मानी तो गुरूजी उसेघटना स्थल की ओर ले चले ।दोनों उ पत्थर पर बैठे , गुरूजी ने बताना शुरूकिया कि कैसे - कैसे सब हुवा । पत्नी जी एकएक कड़ी को किसी शातिर पुलिसियेकी तरह जोड़ रही थी कि अचानक.......डुबुक !!! पत्नी जी का पैर फिसला , औरवो गहरे पानी में समा गई ।गुरूजी की आँखों के आगे तारेनाचने लगे । येक्या हुवा ! जोर -जोर से रोने लगे ।तभी अचानक ......पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देवप्रकट हुवे । बोले - क्या हुआगुरूजी ? अब क्यूँरो रहे हो ?गुरूजी ने रोते हुए पूरी story प्रभु को सुनाई ।प्रभु बोले - रोओ मत ।धीरज रखो । मैंअभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।प्रभु ने डुबकी लगाईं , और............................................थोड़ी देर मेंवो सनी लियोनी को लेकर प्रकटहुवे । बोले -गुरूजी । क्या यही आपकी पत्नी जी है ??गुरूजी ने एक क्षण सोचा , और चिल्लाए -हाँ यही है , यही है ।अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी । बोले -दुष्ट मास्टर । टंच माल देखातो नीयत बदलदी । ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।गुरूजी बोले - माफ़ करें प्रभु । मेरी कोईगलती नहीं । अगर मैं इसे मना करता तो आपअगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लातते ।मैं फिर भी मना करता तो आपमेरो पत्नी को लाते । फिर आप खुश होकरतीनों मुझे दे देते ।अब आप ही बताओ भगवन , इस महंगाई के जमानेमें मैं तीन - तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।सो सोचा , सनी से ही काम चला लूँगा । औरइस ठंड में आप भी डुबकियां लगा लगा कर थकगये होंगे । जाइये विश्राम करिए । bye byeछपाक ... एक आवाज आई । प्रभु बेहोश होकरपानी में गिर गए थे ।गुरूजी सनी का हाथ थामे सावधानीपूर्वकधीरे - धीरे नदी पार कर रहे थ

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